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Dhanteras Kab Hai
2024 में यह पर्व मंगलवार 29 अक्टूबर 2024 को धूमधाम से मनाया जाएगा।
धनतेरस पर गहनों और बर्तनों की खरीदारी की एक गहरी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन नई चीज़ों की खरीद से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो साल भर घर में धन और समृद्धि बनाए रखता है। इस दिन लोग विशेष रूप से सोने और चांदी के गहने, सिक्के, और चांदी के बर्तन खरीदते हैं।
बर्तन खरीदने का भी खास महत्त्व है, क्योंकि यह जीवन में समृद्धि और भंडार की वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे यह मानकर खरीदा जाता है कि घर में अन्न, धन, और समृद्धि बनी रहेगी। लोग तांबे, पीतल, और स्टील के बर्तन भी खरीदते हैं, जिनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व होता है।
भगवान कुबेर की पूजा
धनतेरस पर देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है। भगवान कुबेर को धन के देवता माना जाता है, और उनकी पूजा से धन और वैभव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि कुबेर की कृपा से व्यापार में वृद्धि होती है और धन की वृद्धि होती है। इस दिन व्यापारी वर्ग के लोग अपने खाते-बही की पूजा करते हैं और अपने व्यवसाय में तरक्की की कामना करते हैं।
दीप जलाने की परंपरा
धनतेरस पर दीप जलाने की विशेष परंपरा है। इसे यम दीपदान कहा जाता है, जिसमें घर के बाहर मुख्य दरवाजे पर दीपक जलाया जाता है। यह यमराज को समर्पित होता है और घर के सदस्यों की लंबी उम्र और मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन दीप जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और जीवन में सुरक्षा और शांति बनी रहती है।
धनतेरस के दिन दान-पुण्य का महत्त्व
धनतेरस पर दान-पुण्य करना बेहद शुभ माना जाता है। लोग इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को धन, वस्त्र, और भोजन का दान करते हैं। यह कार्य न केवल पुण्य का साधन है, बल्कि इसे अपने जीवन में सुख-समृद्धि को बढ़ाने का माध्यम भी माना जाता है। कई लोग इस दिन विशेष रूप से गायों और ब्राह्मणों को दान देते हैं, जिसे विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
आधुनिक समय में धनतेरस
आधुनिक समय में धनतेरस की परंपराओं में भी कुछ बदलाव आए हैं, लेकिन इसका मूल भाव आज भी वैसा ही है। अब लोग सोने-चांदी के अलावा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, वाहन, और अन्य आधुनिक वस्त्र भी खरीदते हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन शॉपिंग के चलन के कारण अब लोग घर बैठे ही धनतेरस की खरीदारी कर लेते हैं, जो समय की बचत करता है।
लेकिन चाहे जितने भी बदलाव आए हों, धनतेरस की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता आज भी कायम है। यह दिन न केवल समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि के लिए कामना करने का भी समय है।
धनतेरस की पौराणिक कथाएं
धनतेरस के साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जो इसके महत्व को और भी गहरा बनाती हैं। एक प्रमुख कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है, जिसमें भगवान धन्वंतरि का अवतार हुआ था। मान्यता है कि देवताओं और असुरों ने जब समुद्र मंथन किया, तो उसमें अमृत का कलश लेकर भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद और चिकित्सा का जनक माना जाता है, और उनका प्रकट होना जीवन में अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करना स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करने का अवसर होता है।
एक अन्य कथा यमराज और राजा हिमा से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि राजा हिमा के पुत्र की मृत्यु उसकी शादी के चौथे दिन होनी थी, लेकिन उसकी पत्नी ने दीप जलाकर, गहनों और सोने-चांदी से घर को सजाकर मृत्यु के देवता यमराज को भ्रमित कर दिया। यमराज उस रात राजा के पुत्र को लेने नहीं आए, और इस प्रकार उसकी मृत्यु टल गई। इसी कारण, धनतेरस पर यम दीपदान की परंपरा है, ताकि यमराज के भय से परिवार की रक्षा हो सके।
व्यापारियों के लिए विशेष दिन
धनतेरस विशेष रूप से व्यापारियों के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण दिन होता है। यह दिन व्यापारियों और व्यवसायियों के लिए नया साल शुरू होने का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्यापारी अपने खातों की नई किताबें शुरू करते हैं और अपने व्यापार में वृद्धि की कामना करते हैं। देवी लक्ष्मी की पूजा कर व्यापारी समृद्धि और आर्थिक सफलता की प्रार्थना करते हैं।
इसके अलावा, किसान और श्रमिक वर्ग भी इस दिन को महत्वपूर्ण मानते हैं और अपनी आय के साधनों का पूजन करते हैं। किसान अपनी फसलों और औजारों की पूजा करते हैं, जबकि श्रमिक अपने औजारों को स्वच्छ करके उनकी पूजा करते हैं।
धनतेरस और स्वास्थ्य
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा का मुख्य कारण स्वास्थ्य का महत्त्व है। भगवान धन्वंतरि चिकित्सा के देवता माने जाते हैं, और उनकी पूजा से स्वास्थ्य, दीर्घायु और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन लोग आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन भी करते हैं और अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए दुआ मांगते हैं। इस प्रकार, धनतेरस का पर्व केवल आर्थिक समृद्धि का नहीं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल का भी पर्व है।
समाजिक और पारिवारिक महत्त्व
धनतेरस का त्योहार केवल व्यक्तिगत पूजा या खरीदारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाजिक और पारिवारिक महत्त्व भी रखता है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर पूजा करते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। यह दिन परिवार और समाज में एकता और सहयोग का प्रतीक भी है। लोग अपने रिश्तेदारों और मित्रों को उपहार देते हैं और उनके साथ खुशियां बांटते हैं।
धनतेरस की तैयारी
धनतेरस की तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और उन्हें सजाते हैं। घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है और दीयों से सजावट की जाती है। खासकर इस दिन लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष तैयारी की जाती है, जिसमें देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने धूप, दीप, फूल, और मिठाई चढ़ाई जाती है।
इसके अलावा, मिठाइयों का विशेष महत्त्व होता है। लोग अपने घरों में विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ बनाते हैं और इन्हें प्रसाद के रूप में देवताओं को चढ़ाते हैं। साथ ही, घर के सदस्यों और मेहमानों को मिठाई खिलाकर त्योहार की खुशियाँ मनाई जाती हैं।
धनतेरस पर क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
- घर की सफाई: यह मान्यता है कि साफ-सुथरा घर देवी लक्ष्मी को आकर्षित करता है, इसलिए इस दिन घर की सफाई जरूर करें।
- नई चीजों की खरीदारी: सोना, चांदी, और बर्तन खरीदने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
- परिवार के साथ पूजा: परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर लक्ष्मी पूजन और धन्वंतरि पूजा करें।
क्या न करें:
- कर्ज देना: इस दिन किसी को उधार या कर्ज देने से बचें, क्योंकि इसे आर्थिक हानि का संकेत माना जाता है।
- घर में नकारात्मक विचार न लाएं: धनतेरस सकारात्मकता और समृद्धि का पर्व है, इसलिए नकारात्मक विचार और झगड़ों से बचें।
Final Word
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