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दशहरे पर रंगोली बनाने के पीछे और भी गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहलू होते हैं, जो इस परंपरा को विशेष बनाते हैं। आइए इस परंपरा के कुछ और कारणों और पहलुओं के बारे में विस्तार से जानते हैं:
1. भगवान राम का स्वागत
दशहरा रामायण के उस भाग का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें भगवान राम ने रावण का वध करके सीता जी को मुक्त किया था। रंगोली बनाना भगवान राम के इस विजय अभियान के बाद उनके स्वागत का एक प्रतीकात्मक तरीका है। रंगोली बनाकर हम भगवान राम को अपने जीवन में आमंत्रित करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं।
2. शुभता और समृद्धि का प्रतीक
रंगोली को शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। दशहरे के दिन रंगोली बनाना आने वाले समय में सुख-समृद्धि और खुशियों का स्वागत करने का प्रतीक है। रंगोली के सुंदर रंग और डिजाइन इस बात का संदेश देते हैं कि हमारा जीवन भी इसी तरह रंग-बिरंगा और खुशहाल हो।
3. धार्मिक मान्यताएं
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रंगोली देवी लक्ष्मी को आकर्षित करने का एक साधन भी है। दशहरे का त्योहार आने वाले दीपावली के त्यौहार की शुरुआत का भी प्रतीक है, और इस अवसर पर रंगोली बनाकर हम देवी लक्ष्मी को अपने घर में प्रवेश करने के लिए आमंत्रित करते हैं। यह मान्यता है कि जिस घर में साफ-सफाई और सुंदर सजावट होती है, वहां देवी लक्ष्मी निवास करती हैं।
4. सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह
रंगोली के ज्यामितीय डिजाइन और रंगों का महत्व भी विशेष है। रंगोली के डिजाइन में अक्सर मंडल, फूल, दीपक, स्वस्तिक, और अन्य शुभ प्रतीकों का उपयोग किया जाता है। इन प्रतीकों का उद्देश्य सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करना और घर के वातावरण को पवित्र बनाना है। इनसे बुरी शक्तियों और नकारात्मकता को दूर रखने का भी विश्वास है।
5. रंगों का विशेष महत्व
रंगोली में इस्तेमाल किए गए रंगों का भी विशेष महत्व होता है। प्रत्येक रंग का अलग-अलग प्रतीकात्मक अर्थ होता है – जैसे लाल रंग शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है, पीला रंग खुशहाली और समृद्धि का, हरा रंग उन्नति और हरियाली का, और नीला रंग शांति और सुकून का। इन सभी रंगों का मिलकर उपयोग करना जीवन में विभिन्न भावनाओं और ऊर्जा का स्वागत करने का प्रतीक है।
6. मातृशक्ति की पूजा
दशहरा का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि यह पर्व मातृशक्ति की पूजा का अवसर है। रंगोली बनाना देवी दुर्गा की पूजा और उनके प्रति सम्मान प्रकट करने का एक रूप भी माना जाता है। इसके जरिए लोग माता के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को प्रकट करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
7. प्रकृति और पृथ्वी का सम्मान
रंगोली बनाने में प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग भी किया जाता है, जैसे कि फूलों की पंखुड़ियां, हल्दी, चावल का आटा, और रंगीन मिट्टी। यह प्रकृति के साथ जुड़ने और उसका सम्मान करने का प्रतीक भी है। दशहरे के समय यह परंपरा हमें पृथ्वी के संसाधनों के प्रति आभार प्रकट करने और उनसे संतुलन बनाए रखने की शिक्षा देती है।
8. रचनात्मकता और आनंद
रंगोली बनाना एक कलात्मक कार्य है जो लोगों को अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करता है। दशहरे के दौरान रंगोली बनाने का उद्देश्य घर के वातावरण को सुंदर बनाना है, लेकिन यह परिवार के सदस्यों को एक साथ लाने और मिलकर खुशी मनाने का भी अवसर है। रंगोली बनाते समय सभी लोग एक साथ आकर अपनी कल्पना और रचनात्मकता को व्यक्त करते हैं, जिससे त्योहार की खुशी और बढ़ जाती है।
9. संस्कृति और परंपरा का संरक्षण
रंगोली बनाना भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है। दशहरे जैसे पर्व पर रंगोली बनाकर लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को जीवित रखते हैं। रंगोली के माध्यम से नई पीढ़ी को भी भारतीय संस्कृति और उसकी समृद्धि से परिचित कराया जाता है।
Final Word
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