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एक लड़का करीब 19 साल का था, उसका नाम सौरव था. वह बहुत चंचल, थोड़ा बुद्धिमान लड़का था जो पढ़ने-लिखने में माहिर था। उन्होंने गांव से दूर शहर में रहकर पढ़ाई की.
गर्मी की छुट्टियों और होली के त्यौहार के कारण सौरव का कॉलेज बंद होने वाला था। वह कोलकाता शहर से झारखंड के रांची जिले स्थित अपने घर आने वाला था.
सौरव का घर रांची जिले में था. कॉलेज ख़त्म होते ही सभी लड़के ट्रेन से अपने-अपने घर चले गए। फिर उनमें से सौरव भी अपने घर की ओर जाने के लिए टिकट खरीदने के लिए टिकट काउंटर पर गया।
जैसे ही मैं टिकट काउंटर पर पहुंचा तो वहां काफी भीड़ थी. लेकिन दूसरी ओर टिकट काउंटर की दूसरी लाइन में लेडीज यानी महिला लोगों की कतार लगी हुई थी. ट्रेन जल्द ही आने वाली थी और सौरव को भी जल्दी में टिकट बुक करने के लिए हमारी ज़रूरत थी।
जब वह टिकट काउंटर पर गया तो देखा कि भारी भीड़ के कारण उसे लाइन में काफी पीछे लगा दिया गया है. सौरभ को लगा कि अब टिकट पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. क्योंकि ट्रेन आने में सिर्फ 10 मिनट बचे थे और टिकट काउंटर पर करीब 100 लोगों की लंबी लाइन लगी थी.
वह खेल में जल्दी टिकट पाने के लिए कोई तरकीब सोच रहा था कि तभी उसकी नजर एक लड़की पर पड़ी। वह लड़की भी महिला टिकट काउंटर पर टिकट लेने के लिए लाइन में खड़ी थी.
वह लड़की भी रांची जा रही थी और उसके पास टिकट फॉर्म भरने के लिए पैन नहीं था. ऐसे में सौरव की ऊपरी जेब में पेन देखकर लड़की कहती है, प्लीज मुझे थोड़ा सा पेन दे दो, मुझे भी टिकट खरीदने के लिए फॉर्म भरना है.
इसके बाद सौरव कहते हैं- मैं लिखने के लिए पेन तोड़ दूंगा लेकिन प्लीज आप मेरा टिकट भी ले लीजिए और आप भी उसी स्टेशन पर जाएंगे जहां से मुझे घर जाना है.
फिर लड़की पूछती है कि तुम्हें किस स्टेशन पर जाना है. इसके बाद सौरभ कहता है कि मुझे झारखंड के रांची स्टेशन जाना है. तब लड़की ने भी कहा कि मुझे भी झारखंड के रांची जिले में रखना है.
फिर उसके बाद सौरव कहता है कि इसी टिकट में मेरा नाम भी निकाल दो, टिकट मेले में मुझे आसानी होगी. और फिर हम उसी टिकट से अपनी यात्रा पूरी करेंगे.
लड़की सोनू की बात से सहमत हो जाती है और कहती है कि ठीक है, मैं तुम्हारा टिकट अपने टिकट के साथ नहीं मिलाऊंगी. फिर सौरव अपनी जेब से पैसे निकालता है और लड़की को देखता है ताकि वह उसके लिए भी टिकट खरीद सके।
हम दोनों टिकट लेकर ट्रेन के पास दौड़े. जैसे ही दोनों लोग ट्रेन में चढ़े, 1 मिनट के अंदर ट्रेन ने अपना इंजन चालू कर दिया और चलने लगी. हम दोनों सांवरा और लड़की राहत की सांस लेते हैं और दोनों एक-दूसरे के सामने वाली सीट पर बैठ जाते हैं और बातें करने लगते हैं।
हावड़ा स्टेशन से रांची स्टेशन तक जाने में लगभग 8 से 9 घंटे का समय लगता है। और वो भी ये सफर रात का सफर है, वहां से ट्रेन रात को ही चलती है. ऐसे में दोनों को बात करने का मौका मिलता है.
दोनों अपनी-अपनी सीट पर बैठ जाते हैं और एक-दूसरे से बात करने लगते हैं। जैसे ही गाड़ी चलती है तो कुछ देर बाद लड़की कहती है कि उसे खाना है, भूख लगी है. तब सारा कहती हैं, ठीक है, तुम खाओ, मैं बाद में खाऊंगी, मुझे अभी भूख नहीं है।
यह सुनकर लड़की भी कहती है कि मैं तभी खाऊंगी जब आप खाओगे। कभी-कभी सौरव पूछता है कि क्या बात है कि जब भी मैं खाऊंगा, तुम खाओगे। तब लड़की कहती है कि हम दोनों साथ जा रहे हैं, मैं अकेले खाना खाऊंगी, मुझे अच्छा नहीं लगेगा, इसलिए जब आप खाओगे तो मैं नहीं खाऊंगी।
दोनों के बीच बातचीत शुरू होती है और वह लड़की से उसका नाम पूछता है और लड़की अपना नाम शोभा बताती है। तब लड़की कहती है कि मैं आपका नाम पहले से ही जानती हूं। इसके बाद सौरव कहते हैं तुम्हें मेरा नाम कैसे पता चला. शोभा कहती है कि आप ही हैं आपने टिकट बनाते समय अपना नाम और उम्र बताई थी और वह टिकट अभी भी मेरे पास है इसलिए मैं आपका नाम जानती हूं।
अब सौरभ कहता है कि ये तो मुझे भी नहीं पता, तुम्हें तो मेरा नाम भी पता होगा. मुझे तो यह भी याद नहीं कि मैंने तुम्हें कभी अपना नाम बताया हो। फिर लड़की कहती है कि आपने तो कहा था कि वो मुझे अब भी जानती है.
रात बहुत हो जाती है, दोनों अपनी-अपनी सीट पर सो जाते हैं और सुबह 3:00 बजे दोनों उठते हैं। इसके बाद दोनों अपनी-अपनी पानी की बोतलों के साथ अपना-अपना सामान रखते हैं और फिर दोनों एक-दूसरे से बात करने लगते हैं।
ऐसे ही बातें करते-करते सुबह के 6:00 बज गए और उनकी दोनों ट्रेनें अपने गंतव्य स्टेशन पर पहुंचने वाली हैं। दोनों को लगता है कि हमें एक दूसरे से अलग हो जाना चाहिए. सौरभ को वह लड़की बहुत पसंद है, मतलब किसानों को शोभा बहुत पसंद है और शोभा को भी सौरव बहुत पसंद है.
लेकिन दोनों एक दूसरे से बात किए बिना ही वहां से जाने के लिए तैयार हो जाते हैं. जैसे ही ट्रेन रुकने वाली होती है, लड़कियां यानी शोभा और सौरभ दोनों अपने भगत का सामान उठाते हैं और अपने घर की ओर चल देते हैं।
जैसे ही सांवरा और शोभा दोनों अपने-अपने घर पहुंचते हैं। कुछ देर बाद सौरव के मोबाइल पर एक कॉल आती है. सौरव अपने मोबाइल से कॉल रिसीव करता है और कहता है कि आप कौन बोल रहे हैं, तभी उधर से आवाज आती है कि मैं शोभा बोल रहा हूं।
यह सुनकर सौरभ का मन विचलित हो जाता है और वह घूमने लगता है
अब दोनों बहुत अच्छे से बातचीत करने लगे. हम साथ मिलकर दिन-रात बातें करते हैं। और आप दोनों एक-दूसरे के प्रति बहुत मिलनसार और प्रेमपूर्ण होने लगे।
एक दिन हमने एक दूसरे को मिलने के लिए स्टेशन पर बुलाया और स्टेशन के बगल में एक पार्क था और हम दोनों ने एक दूसरे से मिलने का समय तय कर लिया। फिर दोनों एक साथ आकर बातें करते हैं, एक-दूसरे को समझते हैं और एक-दूसरे को सहलाते या चूमते हैं।
इसके बाद दोनों अपने-अपने परिवार वालों से उनकी शादी के लिए पूछते हैं। परिवार वाले दोनों के परिवार वालों से बात करते हैं और शादी के लिए राजी हो जाते हैं। यह सुनकर सोना बहुत खुश हो जाती है और अपनी शादी की बात सुनकर दोनों जोर-जोर से बात करने लगती हैं।
इसके कुछ समय बाद ही दोनों की शादी हो जाती है। और फिर दोनों एक दूसरे के साथ एक परिवार की तरह रहने लगते हैं. दोनों के बीच रिश्ते काफी अच्छे और बेहतर तरीके से चल रहे थे. क्योंकि दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे.
Final Word
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