Best 10+ Govardhan Puja Images

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Govardhan Puja Kab Hai

 

गोवर्धन पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अन्नकूट का आयोजन है, जिसका अर्थ है “अन्न का पहाड़”। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के पकवानों का ढेर बनाकर भोग लगाया जाता है। इस पर्व में अन्नकूट का विशेष महत्व है क्योंकि यह उस समय का प्रतीक है जब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुलवासियों को बचाया था। अन्नकूट में लगभग 56 प्रकार के भोजन बनाए जाते हैं, जिन्हें छप्पन भोग के नाम से भी जाना जाता है। इन भोजन में दाल, सब्जी, चावल, मिठाई, नमकीन और अन्य पकवान शामिल होते हैं।

यह आयोजन केवल भोजन का भोग नहीं है, बल्कि यह समर्पण, प्रेम, और भक्ति का प्रतीक है। मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण के आगे इन व्यंजनों का अर्पण किया जाता है और बाद में इन्हें भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। अन्नकूट प्रसाद का सेवन करने से भक्तों को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में समृद्धि, शांति और खुशहाली का संचार होता है।

गोवर्धन पूजा का क्षेत्रीय महत्व

गोवर्धन पूजा भारत के विभिन्न हिस्सों में भिन्न-भिन्न रूपों में मनाई जाती है:

  1. मथुरा और वृंदावन: मथुरा और वृंदावन, जो भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़े प्रमुख स्थल हैं, में गोवर्धन पूजा का खास महत्व है। यहां गोवर्धन पर्वत के निकट विशाल आयोजन होते हैं। मंदिरों में अन्नकूट के विशेष भोग लगाए जाते हैं और बड़े पैमाने पर भजन-कीर्तन होते हैं। लोग यहां परिक्रमा भी करते हैं, जिसे गोवर्धन परिक्रमा कहा जाता है।
  2. गुजरात: गुजरात में गोवर्धन पूजा को नूतन वर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। गुजराती विक्रम संवत के अनुसार, इस दिन को नववर्ष के रूप में माना जाता है और लोग एक-दूसरे को बधाइयां देते हैं। यहां गोवर्धन पूजा का मुख्य उद्देश्य परिवार और समाज में समृद्धि लाना और एक नई शुरुआत का आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।
  3. महाराष्ट्र में बलिप्रतिपदा: महाराष्ट्र में गोवर्धन पूजा के दिन को बलिप्रतिपदा के रूप में मनाया जाता है। यहां राजा बलि की पूजा की जाती है, जो भक्तों के प्रति अपने समर्पण के लिए जाने जाते हैं। राजा बलि की पूजा करके लोग समृद्धि, समर्पण और भक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

गोवर्धन पूजा में गायों का महत्व

गोवर्धन पूजा में गायों का विशेष महत्व है, क्योंकि गायों को भगवान कृष्ण का प्रिय माना जाता है। इस दिन गायों को सजाया जाता है और उन्हें विशेष भोजन, जैसे कि गुड़, चावल, हरी घास, और मिठाई, खिलाई जाती हैं। गायों की पूजा का उद्देश्य उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करना है, क्योंकि गायों को हिंदू धर्म में माँ के समान सम्मान दिया गया है। गाय से मिलने वाले दूध, घी, और अन्य पदार्थों को पूजा में पवित्र माना जाता है और इसी कारण गोवर्धन पूजा में गायों का पूजन करना आवश्यक माना गया है।

गोवर्धन पूजा की विधि और पूजा का समय

गोवर्धन पूजा करने के लिए प्रातः काल ही गोबर या मिट्टी से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाया जाता है। इसके चारों ओर दीप जलाए जाते हैं और पूजा की जाती है। इस पूजा का विशेष मुहूर्त होता है, जो आमतौर पर दिवाली के अगले दिन पड़ता है। पूजा का मुहूर्त जानने के लिए लोग पंचांग देखते हैं ताकि शुभ समय में पूजा कर सकें और भगवान श्रीकृष्ण से आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

गोवर्धन पूजा का आध्यात्मिक संदेश

गोवर्धन पूजा का आध्यात्मिक संदेश है कि हमें प्रकृति और उसके संसाधनों का संरक्षण करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की बात कहकर हमें सिखाया कि हमें केवल देवताओं की पूजा ही नहीं करनी चाहिए, बल्कि उन तत्वों का भी सम्मान करना चाहिए, जो हमें प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाते हैं। इस पूजा में भगवान कृष्ण का प्रकृति प्रेम और सभी के प्रति उनकी करुणा का प्रतीक है।

गोवर्धन पूजा का पारिवारिक और सामाजिक महत्व

गोवर्धन पूजा के अवसर पर परिवार और समाज के लोग एकत्रित होकर पूजा करते हैं, जिससे आपसी प्रेम और भाईचारे का माहौल बनता है। इस दिन लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर प्रसाद ग्रहण करते हैं और अपनी खुशियों को साझा करते हैं। गोवर्धन पूजा इस बात का प्रतीक है कि संकट के समय में हमें एकजुट होकर एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए, जैसा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों के लिए किया था।

 

Final Word

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