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अस्सलाम वालेकुम का मतलब क्या होता है

 

आपने कभी न कभी मुस्लिम समुदाय के लोगो को अस्सलाम वालेकुम कहते ज़रूर सुना होगा।

मगर आपके मन मे यह खयाल ज़रूर आया होगा, कि आखिर अस्सलाम वालेकुम का मतलब क्या होता है। और अस्सलाम वालेकुम कहने के पीछे क्या इतिहास होता है, तो अगर आप इन सभी सवालों का जवाब जानना चाहते है, तो इस लेख को ध्यान से पूरे अंत तक पढ़े तो चलिए शुरू करते है।

Assalamu Alaikum ” (تحيات) ” एक इस्लामिक या अरबी शब्द है, और” अस्सलाम वालेकुम, ( تحيات ) वाक्य का शाब्दिक अर्थ होता है, कि ( ख़ुदा आप पर नजर फरमाए, आप की शान शौकत ऐसे ही बरकरार रहे, मैं आप को सलाम करता हूँ, मैं आप को बधाई देता हूँ, ख़ुदा तुम्हें सलामत रखे है ) इत्यादि ।

अगर हम इसे हिंदी भाषा मे समझें, तो इस का अर्थ एक दूसरे को प्रणाम करना होता है। और अस्सलाम वालेकुम को अंग्रेजी भाषा मे Greetings कहा जाता है,

अस्सलाम वालेकुम शब्द का प्रयोग उस स्थिति में किया जाता है, जब दो इस्लामिक या कहे तो मुस्लिम लोग आपस में मिलते हैं, और तब वे एक दूसरे को सलाम अदा करते है और एक दूसरे को अस्सलाम वालेकुम भी बोलते हैं।

ऐसा भी कहा जाता है कि, (अस्सलाम वालेकुम) इस्लामिक और अरबी यानी कि मुस्लिम समुदाय के लोगो के अभिवादन या कहे तो एक दूसरे के लिए आपस मे दुआ करने या नमस्कार करने का तरीका होता है।

जिसे आम तौर पर इस्लामिक और अरबी में अभिवादन भी कहा जाता है। जब भी कोई मुस्लिम या इस्लामिक समुदाय के लोग एक दूसरे से मिलते हैं, तो वह एक दूसरे को अस्सलाम वालेकुम कहते हैं, ।

जिसके जवाब में दूसरा मुसलमान या इस्लामिक व्यक्ति को ” ( वरहम तुल्लाह व बरका तहु فرحمة الله وبركاته) ( تحياتي لك ايضا, वालेकुम अस्सलाम,) ” कहना होता है, और इस का मतलब हिंदी भाषा मे होता है, कि ” जैसी आशीर्वाद आप ने मेरे को दिया ठीक उसी तरह से अल्लाह आप पर भी रहमत फरमाए ” ” और अल्लाह आप पर भी अपना नजर बनाए रखे ” अल्लाह तुम को शांति दे, ‘ ख़ुदा तुम पर भी सलामत हो ‘।

हम आप को बता दे, कि असल में इस्लामिक या अरबी या फिर मुस्लिम समुदाय के अनुसार जब भी कोई इस्लामिक या अरबी या कोई मुस्लिम आपस में मिलता है, तो वह एक दूसरे की सलामती यानी कि भलाई के लिए, हिफ़ाज़त के लिए , बरकत व रहमत के लिए, अपनी दुआएँ एक दूसरे को देते हैं।

 

अस्सलाम वालेकुम शब्द का इतिहास

 

ऊपर हमने आपको अस्सलाम वालेकुम ( Assalamu Alaikum Meaning In Hindi ) का अर्थ क्या होता है के बारे में बताया।

चलिए आप जानते हैं, कि अस्सलाम वालेकुम शब्द का इतिहास क्या होता है। हमने आपको ऊपर में भी बताया कि अस्सलाम वालेकुम एक अरबी और इस्लामिक शब्द है। जो खासतौर से अरब जैसे इस्लाम देशों से आया है।

जिसका उपयोग लगभग दुनिया भर के तमाम इस्लामिक या मुस्लिम समुदाय के लोग एक दूसरे को अभिवादन यानी कि नमस्कार के लिए करते हैं।

आमतौर पर “अस्सलाम वालेकुम ” शब्द का सही और उसका अर्थ निकलने लायक उच्चारण अरबी भाषी वाले व्यक्ति ही कर पाते हैं, क्योंकि ज्यादातर बांग्लादेशी, मलेशियाई, तथा उर्दू भाषी बोलने वाले लोग खास तौर पर अस्सलाम वालेकुम का गलत और उस का नकारात्मक अर्थ निकलने वाले उच्चारण करते हैं।

हम आप को बता दें, कि ” अस्सलाम वालेकुम ” (تحيات) का गलत या उल्टा सीधा उच्चारण यानी कि बोलने से अस्सलाम वालेकुम शब्द का अर्थ पूरे तरह से ही अलग हो जाता है, जैसे कि अगर आप अस्सलाम वालेकुम बोलने के बजाए किसी को साम्लेकूम या सामुअलेकुम, सलाम लैकुम, उलुकम मालूम, जैसे इत्यादि शब्द का इस्तेमाल करते हैं, तो उस का पूरे तरह से अर्थ अलग हो जाएगा।

यानी कि अस्सलाम वालेकुम बोलने के बजाए वो सब वाला व्यक्ति लोगों को सलामती देने के रूप में लोग दूसरों को बर्बाद होने की दुआएँ देता फिरेगा।

आपको उदाहरण दे कर के समझा दे कि, एक पल के लिए सोचिए कि यदि कोई व्यक्ति ” अस्सलाम वालेकुम ” की स्थान पर ” सलाम वालेकुम, सामुअलेकुम, सलाम लैकुम, कहता है, तो उस का अर्थ यह होता है, कि तुम बर्बाद हो जाओ, तुम को मौत आ जाए, यह होता है, ऐसा लोग मानते है।

तो दोस्तों, आमतौर पर यही मुख्य वजह है, कि ” अस्सलाम वालेकुम ” का सही उच्चारण करना बहुत ही आवश्यक होता है।

हम आपको एक बात और बता दे, कि एक हदीस ( इस्लामिक समुदाय की प्रमुख पुस्तक ) जो कि काफी पुराना है, और उसी के अनुसार यह कहा जाता है, कि जब भी कोई व्यक्ति जब आपस में मिलता हो या कोई बात शुरू की जाए या तो उसे सबसे पहले उसे सामने वाले व्यक्ति को सलाम अदा करना चाहिए।

और उस ऐतिहासिक किताब में ऐसा भी कहा गया है, कि सलाम अदा करने के लिए उम्र मायने नहीं रखती, यानी कि जो व्यक्ति बड़ा हो या कोई व्यक्ति छोटा हो यानी कि कोई भी एक दूसरे को सलाम अदा बिना किसी दिक्कत के कर सकता है, इसका कोई नियम नही है।

यहां तक कि घर में घुसने से पहले या किसी से विदा लेने से पहले भी सलाम करना जरूरी होता है।

अस्सलाम वालेकुम के पीछे की परंपरा?

ऊपर हमने आपको अस्सलाम वालेकुम शब्द का इतिहास क्या है के बारे में बताया। चलिए आप जानते हैं, अस्सलाम वालेकुम के पीछे की परंपरा क्या है।

पैगंबर मौहम्मद Sallallahu ta’ala Alaihi Was Allam ( सल्लल्लाहु त’अला अलैहि वसल्लम) लोगों को अस्सलाम अलैकुम कह कर के बधाई देते थे और उनके लिए रब से दुआ माँगते थे और वो अपने अनुयायियों को भी ऐसा करने के लिए बोलते है, उन्हें प्रोत्साहित करते थे।

दोस्तों, यह परंपरा खास तौर पर मुसलमानों, इस्लामिको को एक परिवार के रूप में एक साथ, भाईचारा से जोड़ने और सामुदायिक संबंधों को मजबूत करने के स्थापित करने में मदद करती है।

 

“अ सलाम वालेकुम” और “वालेकुम अ सलाम” का क्या मतलब होता है?

 

अस्सलाम वालेकुम व रहमतुल्लाहि व बरकताहू व मगफेरत्ताहु।

ये पूरा वाक्य अपने सायद कही सुना होगा अगर नही सुना तो ये ऊपर की तरह बोला जाता है जब एक मुस्लिम दुषरे मुस्लिम से कलाम करने के लिये मिलते है।

उसका मतलब होता है ” हम आपकी सलामती चाहते है अल्लाह से, अल्लाह की रहमत हो आप पर, ढेरो बरकतें नाज़िल हो आप पर और आपके गुनाह अल्लाह माफ करदे और आख़ेरत में(कयामत के दिन) आपकी बख्शीश हो।”

जो मुस्लिम ये सलाम करता है दुशरा मुस्लिम कहता है ” वालेयुम वस सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकताहू व मगफेरत्ताहु”

इसका मतलब होता है ” जैसे आप हमारी सलामती चाहते हो वैसे ही आप भी सलामत रहो, आप पर भी अल्लाह की रहमत हो, आपकी भी रोज़ी में बरकत हो, और अल्लाह आपके भी गुनाह माफ करें और आख़ेरत में आपकी बख्शीस करदे।”

ज्यादातर मुस्लिम सिर्फ अस्सलाम वालेकुम कह देते है और सामने वाला भी वालेकुम सलाम कह देता है जो भी बिल्कुल दुरुस्त है।

सलाम करना अल्लाह के नबी की सुन्नत है इसलिए हर मुस्लिम को कलाम से पहले सलाम करना लाजमी है। ये एक मोहब्बत का पैगाम भी है इसलिए भाई चारे को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर के मुस्लिम यही सुन्नत अदा करते है।

 

Final Word

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